आज प्रातः बैरागी द्वीप में निर्मित नव-निर्मित साधना कक्ष का उद्घाटन श्रद्धेया जीजी शैलवाला पंड्या जी के पावन करकमलों द्वारा संपन्न हुआ। चण्डीदेवी और मनसा देवी पर्वतों के मध्य, पवित्र गंगा तट पर स्थित यह दिव्य परिसर आज विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा से अभिभूत रहा। उद्घाटन समारोह में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, शांतिकुंज परिवार, स्थानीय कार्यकर्त्ता, साधकगण तथा संगठन के वरिष्ठ प्रतिनिधिगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
वसंत पंचमी 2026 की तैयारियों का महत्वपूर्ण चरण
यह नया साधना कक्ष आगामी वसंत पंचमी – 2026 के लिए आयोजित होने वाले विराट साधना एवं आध्यात्मिक महायज्ञ की तैयारियों का एक अत्यंत महत्वपूर्ण चरण है।
वर्ष 2026, गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की गायत्री साधना के 100 वर्ष पूर्ण होने का पावन अवसर है, जो पूरे संगठन के लिए साधना-शताब्दी वर्ष के रूप में अत्यंत गौरव और आध्यात्मिक महत्व रखता है।
श्रद्धेया जीजी का प्रेरणाप्रद संबोधन
कार्यक्रम के दौरान श्रद्धेया जीजी ने उपस्थित सभी परिजनों के समर्पण, परिश्रम और निरंतर योगदान को हृदय से नमन किया। उन्होंने सभी साधक–कार्यकर्ताओं को गुरुसत्ता के स्नेही परिजन तथा मिशन के “नींव के पत्थर” के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि—
“गुरुसत्ता का दिव्य संरक्षण और स्नेह उन सभी के साथ है, जो निस्वार्थ भाव से इस महाकाय कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं।”
उन्होंने अपने प्रेरक संदेश में यह भी कहा कि मिशन के लिए हाथ बँटाने वाला प्रत्येक परिजन ठीक उसी भावना का प्रतिनिधित्व करता है, जैसे गिलहरी ने अपने छोटे से सामर्थ्य के बावजूद श्रीराम के सेतु-निर्माण के महान कार्य में सहयोग दिया था।
उन्होंने बताया कि—
“समर्पण, निष्ठा और भाव-सहयोग ही सबसे बड़ा योगदान है—सामर्थ्य बड़ा हो या छोटा, भावनाएँ ही कार्य को सफल बनाती हैं।”
आध्यात्मिक वातावरण में सम्पन्न हुआ समारोह
कार्यक्रम के अंत में सामूहिक गायत्री मंत्र जप, मंगलकामना एवं गुरुस्मरण के साथ उद्घाटन समारोह पूर्ण हुआ। नव-निर्मित साधना कक्ष आने वाले समय में साधकों के लिए एकाग्र उपासना, साधना एवं ध्यान का केंद्र बनेगा और वसंत पंचमी 2026 के विराट आयोजन की तैयारी को नई दिशा प्रदान करेगा।

